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सर्पदंश से ब्रेन-डेड व्यक्ति को फोर्टिस अस्पताल ने दिया नया जीवनदा

PNN India: फोर्टिस अस्‍पताल फरीदाबाद के डॉक्‍टरों ने महामारी के दौरान मरीज़ों की देखभाल के ऊंचे मानकों को प्रदर्शित करते हुए, एक ऐसे मरीज़ का तत्‍काल इलाज किया जिसे सर्पदंश के बाद इमरजेंसी में लाया गया था। मरीज़ के शरीर में कोई हरकत नहीं थी और आंखों की पुतलियों में भी कोई मूवमेंट नहीं दिखायी दे रही थी। मरीज़ को क्‍लीनिकली ब्रेन डैड घोषित कर दिया गया था। मरीज़ की हालत बिगड़ती देख, डॉ रोहित गुप्‍ता, डायरेक्‍टर-न्‍यूरोलॉजी, फोर्टिस एस्‍कॉर्ट्स फरीदाबाद और डॉ सुप्रदीप घोष, डायरेक्‍टर, क्रिटिकल केयर नेतृत्‍व में डॉक्‍टरों की एक टीम ने मरीज़ का उपचार शुरू किया। शुरू में जो मामला एकदम सीधा-सपाट लग रहा था वह इलाज में देरी की वजह से उतना की चुनौतीपूर्ण बन गया।

फरीदाबाद में खेड़ी गांव के रहने वाले इस मरीज़ को इलाज के लिए अलग-अलग अस्‍पतालों में ले जाने के बाद फोर्टिस एस्‍कॉर्ट्स फरीदाबाद लाया गया था। जब मरीज़ अस्‍पताल पहुंचा तो कोमाटेज़ स्‍टेट में था और उसकी आंखों की पुतलियों में भी कोई हरकत नहीं थी। मरीज़ को तुरंत वेंटिलेटर सपोर्ट पर रखा गया। उसकी ब्रेन डेड कंडिशन के बारे में पता लगाने के लिए इलैक्‍ट्रोएंसेफेलोग्राफी (ईईजी), नॉन-कंट्रास्‍ट कंप्‍यूटेड टोमोग्राफी (एनसीसीटी) और एमआरआई करवायी गई ताकि मस्तिष्‍क की इलैक्ट्रिकल एक्टिविटी का पता लगाया जा सके। मरीज़ के शरीर की सावधानीपूर्वक जांच में उसके पैर में सर्पदंश के निशान दिखायी दिए। इससे यह संकेत मिला कि मरीज़ को सांप ने काटा था और उसके बाद उसके शरीर में न्‍यूरो-मस्‍क्‍युलर पैरालिसिस हो गया।

इलाज की प्रक्रिया के बारे में डॉ रोहित गुप्‍ता ने बताया, ”अस्‍पताल के इमरजेंसी विभाग में लाने पर मरीज़ के स्‍वास्‍थ्‍य की बिगड़ी स्थिति के कारण का पता लगाया गया। मरीज़ की जांच करना बेहद जरूरी था क्‍योंकि वह कुछ घंटों तक बेहोश रहा था। ऐसा करना काफी चुनौतीपूर्ण काम था और मरीज़ की हालत देखकर तो ऐसा लग रहा था कि कोई उम्‍मीद नहीं बची है। लेकिन जब हमने सांप के काटे के निशान देखे तो पूरा मामला साफ हो गया, और हमने उपयुक्‍त उपचार मरीज़ को दिया। उसे एंटी-स्‍नेक वेनम दिया गया जिसके बाद मरीज़ ही हालत धीरे-धीरे सुधरने लगी। 2 दिन के उपचार के बाद, रिकवरी के शुरुआती चिह्न दिखायी देने लगे। चौथे दिन मरीज़ ने रिस्‍पॉन्‍ड करना शुरू कर दिया था और उसने खाना खाया तथा खुद चलने-फिरने लगा। मरीज़ को 5वें दिन अस्‍पताल से छुट्टी दे दी गई। इस पूरे मामले में हमें मरीज़ की समय पर संपूर्ण जांच और हमारे पिछले अनुभवों से काफी मदद मिली और यही वजह है कि हम मरीज़ का प्रभावी तरीके से इलाज कर पाए तथा मरीज़ को उस स्थिति से बाहर लाने में सफल हुए जो उसे ब्रेन-डैड बता रही थी।”

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Shafi-Author

Shafi Shiddique