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श्रीराम जी धर्मार्थ अस्पताल के उपाध्यक्ष ने पदाधिकारियों पर लगाया संगीन आरोप

Shri ram ji Charitable Hospital

PNN/ Faridabad: कोरोना महामारी का हवाला देकर सेवा के लिए खोले गए संस्थान बंद करवा, दूसरे संस्थान के बैनर तले त्यौहार मनाने की इजाज़त मांगना कहां तक तर्कसंगत है? उक्त उद्गार व्यक्त करते हुए श्री राम जी चैरिटेबल हॉस्पिटल सोसायटी के उपाध्यक्ष विशाल भाटिया ने एक प्रेस नोट जारी कर सारे सिस्टम पर एक सवालिया निशान लगा दिया है।

गौरतलब है फरीदाबाद के तिकोना पार्क स्थित श्री राम जी चैरिटेबल हॉस्पिटल सोसाइटी नामक एक संस्थान जिसमें की समाज के लोगों को सस्ते में न केवल इलाज प्रदान किया जाता था, अपितु कई प्रकार के टेस्ट इत्यादि बहुत ही सस्ती दरों पर करवाने की सहूलियत प्रदान की गई थी। इस संस्थान में पदाधिकारियों की आपसी खींचतान में एक पक्ष अपनी मनमानियों के चलते न केवल सभी कानूनी प्रक्रियाओं को नजरअंदाज कर मेंबर बनाता चला गया अपितु आय-व्यय में नकद भुगतान का तरीका अपनाए रखा, जबकि वह भुगतान चेक अथवा ड्राफ्ट के माध्यम से किए जाने की बात दूसरा पक्ष लगातार रखता चला आया है।

विशाल भाटिया ने आगे बताया कि संस्था के प्रधान कंवल खत्री ने जब से जोगिंदर चावला को संस्था में गेरकनूनी रूप से सदस्य जोड़ा तभी से दोनों पक्षों के बुजुर्गों द्वारा बनाई गई सेवार्थ इस संस्था का बेड़ा गर्क होकर रह गया। गत 28 फरवरी को रजिस्ट्रार, फर्म चिट्स एवं सोसाइटीज़ द्वारा स्पष्ट निर्देश देते हुए एक आदेश पारित किया था जिसमें कि उन्होंने कंवल खत्री द्वारा भर्ती किए गए सभी सदस्यों की न केवल सदस्यता रद्द की थी अपितु उनके द्वारा लिए गए बैठकों के निर्णयों को भी रद्द घोषित किया था। इतना ही नहीं संस्था और जिला उद्योग केन्द्र के दस्तावेजों के अनुसार कंवल खत्री वर्तमान में संस्था के प्रधान पद से भी विमुख हैं।

विशाल भाटिया ने अपनी बात आगे बढ़ाते हुए कहा है कि इन सभी निष्कासित सदस्यों द्वारा श्री राम जी चैरिटेबल हॉस्पिटल सोसाइटी के प्रधान कंवल खत्री की अगुवाई में दिनांक 05/06/2020 को ईमेल लिखित रूप में पुलिस उपायुक्त फरीदाबाद के साथ-साथ DCP NIT, ACP NIT और SHO कोतवाली को शिकायत दी जिस पर इन्हीं जोगिंदर चावला के दस्तख़त हैं, पर कार्रवाई करते हुए दिनांक 20/06/2020 को SHO कोतवाली ने अपनी मौजूदगी में दोनों पक्षों से लिखित सांझा बयान लिए जिसके अनुसार संस्था पर किसी प्रकार की गतिविधि चाहे वह स्वास्थ्य से संबंधित हो या कि अन्य प्रकार की करने पर पूरी तरह से रोक लगा दी इसके पीछे शिकायतकर्ता पक्ष ने कोविड-19 के ताजा हालात को देखते हुए किसी मरीज अथवा परिजनों के साथ कोई अप्रिय घटना घटने की दलील दी थी। इतना ही नहीं हमारी संस्था में थैलेसीमिया ग्रस्त बच्चों को जीवन रक्षक जो खून चढ़ाया जाता था इन लोगों की वजह से उस कार्य को भी रुकवा लिया गया। आज वही जोगिंदर चावला और लगभग वही सभी लोग जिनके दस्तखत युक्त शिकायत पर सेवार्थ चलने वाले रामजी धर्मार्थ को 4 माह पूर्व बंद करवाया गया था, उन्हीं द्वारा फरीदाबाद धार्मिक एवं सामाजिक संगठन को दशहरा मनाने की इजाजत मांगते हुए देखा गया, वह भी उस जगह पर जो सरकारी है और रिकॉर्ड अनुसार नगर निगम के कब्जे में।
भाटिया ने कहा कि यहीं से स्पष्ट हो जाता है कि अपनी संस्था के डॉक्टरों, मुलाजिमों व स्टाफ पर गत 4 महीने से थोपी गई जबरदस्ती की तालाबंदी और उन्हें तनख्वाह तक न दिया जाना या उनसे पूछा जाना कि उनके चूल्हे कैसे जल रहे हैं, क्या यही इंसानियत कहलाने योग्य है? सेवा धर्म को भूल मरीजों की परवाह न करना, खास तौर से थैलेसीमिया ग्रस्त बच्चों की फिकर न करना कभी भी सेवा के पैमाने पर खरा नहीं उतर सकता और उन्हीं लोगों द्वारा अपनी दूसरी संस्था फरीदाबाद धार्मिक एवं सामाजिक संगठन जिसमें कंवल खत्री (तथाकथित चेयरमैन) और जोगिंदर चावला (तथाकथित प्रधान) एवं बाकी अन्य सदस्य दशहरा पर्व मनाने को लेकर प्रशासन और सरकार का विरोध प्रकट करते नजर आए और गैर कानूनी तरीके से प्रशासन पर दबाव बनाते हुए केवल रावण के पुतले का दहन करने और हर कीमत पर केवल दशहरा पर्व मनाने को उत्सुक दिखे। 15 से 20 लोगों का एक समूह जो सेवा के कार्यों में प्रदान की जा रही स्वास्थ्य संबंधी सेवाओं को तो पुलिस प्रशासन की मदद से रुकवा लेता है लेकिन जब वही पुलिस प्रशासन दशहरा पर्व मनाने को लेकर इजाजत न मिलना बताता है तो उसी पुलिस प्रशासन को कोसते नजर आता है।

विशाल भाटिया ने अंत में कहा कि अब वक्त आ गया है जब ऐसे लोगों के चेहरों से नकाब उतार फेंके जाएं, जो सेवा की आड़ में केवल राजनीति करते हैं, समाज को गुमराह कर सरकारी जमीनों पर कब्जा कर बैठना चाहते हैं और केवल अपनी मनमानियां चलाना चाहते हैं। त्यौहार मनाना तो मात्र एक बहाना है वरना इसके पीछे का मकसद फरीदाबाद की जनता को यह संदेश पहुंचाना था कि सरकार और प्रशासन में हमारी पूरी दखल है, लेकिन जो कल पूरी तरह से बेनकाब हो गई है।

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