PNN India: आयुर्वेदिक डॉक्टरों (Ayurveda Doctor) को लेकर केंद्र सरकार ने बड़ा फैसला लिया है. आयुर्वेद की डिग्री प्राप्त डॉक्टर अब जनरल और ऑर्थोपेडिक सर्जरी के साथ ही आंख, कान और गले की सर्जरी (Surgery) भी कर सकेंगे. भारतीय चिकित्सा केंद्रीय परिषद (Central Council of Indian Medicine) के मुताबिक सरकार से हरी झंडी मिलने के बाद पीजी के स्टूडेंट्स को सर्जरी के बारे में गहन जानकारी दी जाएगी.
सरकार द्वारा जारी अधिसूचना के मुताबिक, आयुर्वेदिक अध्ययन के पाठ्यक्रम में सर्जिकल प्रक्रिया के लिए प्रशिक्षण मॉड्यूल को जोड़ा जाएगा। इसके लिए अधिनियम का नाम बदलकर भारतीय चिकित्सा केंद्रीय परिषद (स्नातकोत्तर आयुर्वेद शिक्षा) संशोधन विनियम, 2020 कर दिया गया है।
दरअसल, देश में आयुष चिकित्सा की प्रैक्टिस कर रहे डॉक्टरों की ओर से लंबे समय से एलोपैथी के समान अधिकार देने की मांग हो रही थी। नए नियमों के मुताबिक, आयुर्वेद के छात्र पढ़ाई के दौरान ही शल्य (सर्जरी) और शालक्य चिकित्सा को लेकर प्रशिक्षित किए जाएंगे। छात्रों को शल्यचिकित्सा की दो धाराओं में प्रशिक्षित किया जाएगा और उन्हें एमएस (आयुर्वेद) जनरल सर्जरी और एमएस (आयुर्वेद) शालक्य तंत्र (नेत्र, कान, नाक, गला, सिर और सिर-दंत चिकित्सा का रोग) जैसी शल्य तंत्र की उपाधियों से सम्मानित भी किया जाएगा।
सरकार की ओर से जारी नोटिफिकेशन के मुताबिक इन छात्रों को ग्लुकोमा, मोतियाबिंद हटाने, स्तन की गांठों, अल्सर और पेट से बाहरी तत्वों की निकासी जैसा कई सर्जरी करने का अधिकार होगा.
देश में सर्जन की कमी को किया जा सकेगा दूर
केंद्र सरकार के आयुर्वेद के पूर्व सलाहकार डॉ. एस.के. शर्मा ने सरकार के इस फैसले पर खुशी जाहिर करते हुए मील का पत्थर बताया है. उन्होंने कहा कि देश इस समय सर्जन की कमी झेल रहा है. सरकार के इस फैसले से देश में सर्जन की कमी को दूर किया जा सकेगा. इसके साथ ही दूरदराज इलाकों के मरीजों को शहर भागने की जरूरत नहीं होगी और उन्हें अपने क्षेत्र में ही उच्च स्तर का इलाज मिल सकेगा.
हालांकि इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (IMA) का कहना है कि इस तरह की अनुमति देने से चिकित्सा वर्ग में खिचड़ी हो जाएगी। अध्यक्ष डॉ. राजन शर्मा का कहना है कि मिश्रित पैथी की वजह से देश में हाइब्रिड डॉक्टरों को बढ़ावा मिलेगा। वहीं इंटीग्रेटेड मेडिकल एसोसिएशन (आयुष) के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ. आर पी पाराशर का कहना है कि मोदी सरकार ने आयुष चिकित्सा को बढ़ावा देने को लेकर शुरू से संतोषजनक काम किया है। नया आदेश वर्तमान में देश की चिकित्सीय व्यवस्था के लिए बेहतर साबित होगा।
सर्जरी आयुर्वेद की देन
इंटीग्रेटेड मेडिकल एसोसिएशन (AYUSH) के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ. आर पी पाराशर का कहना है कि ‘विश्व के पहले सर्जन सुश्रुत थे जो आयुर्वेद चिकित्सा से जुड़े थे। विश्व में सर्जरी आयुर्वेद की देन है। ऐसे में सरकार अनुमति देती भी है तो इससे किसी भी पैथी को संकट नहीं है। यह अधिकार आयुर्वेद का है और उसे अब मोदी सरकार ने दिलाया है।’
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