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इस स्कूल में पढ़ती हैं मात्र 2 छात्राएं, यह है कारण…

PNN/ Faridabad: महाराष्ट्र में चंद्रपुर जिले के गोड़पिपरी तहसील का गांव टोमटा का नजारा सबसे अलग है। यहां के स्कूल में छात्रों के बीच शोर-शराबा और जोर से पढ़ने की आवाज नहीं आती। कारण- स्कूल में केवल दो छात्राएं ही हैं। दोनों सगी बहनें हैं, जो चौथी और दूसरी कक्षा में पढ़ती हैं। स्टाफ में एक शिक्षक और एक मिड डे मील बनाने वाली महिला कर्मचारी है। स्कूल में खेल से लेकर वार्षिक उत्सव का कार्यक्रम भी आयोजित होता है।

69 लोगों की आबादी वाले टोमटा गांव में ज्यादातर आदिवासी रहते हैं। गांव में 12 घर हैं। जिला परिषद द्वारा 5वीं कक्षा तक यहां स्कूल संचालित किया जाता है। कक्षा चौथी की प्राची और दूसरी की समीक्षा जीवन दास कुलसंगे सुबह 10 बजे स्कूल आ जाती हैं। राष्ट्रगान और प्रार्थना के बाद उनकी कक्षा शुरू होती है। प्राची को पहाड़े याद करने का काम देकर टीचर आनंदराव मडावी समीक्षा को पाठ पढ़ने के लिए कहते हैं। वे दोनों छात्राओं को बारी-बारी समय देकर उनकी पढ़ाई पर पूरा ध्यान देते हैं। इसी वजह से दोनों बहनों में स्कूल के प्रति जिज्ञासा दिखाई पड़ती है। नतीजा यह रहा कि स्कूल में उनकी सौ फीसदी उपस्थिति दर्ज की गई है।

अगले साल दोनों बहनों का भाई भी लेगा एडमिशन

प्राची और समीक्षा का छोटा भाई भी अगले साल स्कूल में दाखिल होगा। जिला परिषद अध्यक्ष देवराव भोंगले ने बताया कि “हर एक छात्र को स्कूल मे पढ़ने का अधिकार है। नियमानुसार किसी स्कूल में छात्रों की संख्या कम रही, तो एक किमी के आसपास दूसरी स्कूल में छात्रों को भेजा जाता है। लेकिन टोमटा गांव दुर्गम इलाके में आता है और दूसरी स्कूल करीब ढाई किमी के अंतर पर है। दोनों बहनों की पढ़ाई का नुकसान न हो इसलिए स्कूल चलाया जा रहा है।’ गांव में आगनबाड़ी भी है। यहां 4 बच्चे जाते हैं।

27 साल पहले बना था स्कूल, एक बच्चा अगले साल दाखिल होगा

हर छात्र को पढ़ने का मौका मिले इसलिए गांव के सुरेश मारोती कुलमेथे ने 1989 में जमीन दान की थी। 1991 में स्कूल की शुरुआत हुई तब यहां 2 टीचर और 20 छात्र थे। पलायन के कारण छात्रों की संख्या घटती गई। अगले साल एक और बच्चा प्रवेश लेगा।

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Shafi-Author

Shafi Shiddique