PNN India: आवश्यकता आविष्कार की जननी होती है। कोविड-19 के खतरे से जूझ रहे देश के वैज्ञानिक इस समय तरह-तरह के आविष्कार में जुट गए हैं। कुछ कामयाबी के अधिक करीब हैं, किसी को कुछ महीनों में कामयाबी मिलने की उम्मीद है।
IIT मुंबई के बायोसाइंसेज और बायो इंजीनियरिंग विभाग ने एक नेजल जैल आधारित वैक्सीन बनाने की मुहिम तेज कर दी है। डिपार्टमेंट आफ साइंस एंड टैक्नोलॉजी के सेक्रेटरी ने इस शोध को अनुमति दे दी है। इस वैक्सीन की खासियत होगी कि आप नाक में जैल लगाएंगे और कोविड-19 का वायरस आपको छू नहीं सकेगा।
नासिका जैल या नेजल जैल के विकास से जुड़े किरण कोंडाबागिलू ने बताया कि यह जैल पांच से छह महीने में अनुसंधान करके तैयार कर लिया जाएगा। वायरस जैसे माइक्रोब्स चूंकि होस्ट सेल में ही रिप्रोड्यूस होते हैं अत: यह जैल नाक में एक पर्त (लेयर) बनाएगी। वहां से कोविड-19 के वायरस को अपनी गिरफ्त में लेगी और होस्ट बॉडी से बाहर कर देगी। इस तरह से लोगों में संक्रमण का खतरा टल जाएगा।
एक घंटे में सौ सैंपल की जांच, 15 मिनट में मिलेगा परिणाम
दूसरा प्रयोग पुणे की स्टार्टअप फास्ट सेंस डायग्नॉस्टिक कर रही है। इसको भी डिपार्टमेंट ऑफ साइंस एंड टेक्नोलॉजी और बीआरएसी सहयोग दे रही है। यह स्टार्टअप संस्थान एक रैपिड टेस्टिंग डिवाइस बना रही है। इसके मई के पहले सप्ताह तक आ जाने की संभावना है।
इससे 15 मिनट के भीतर ही पता चल जाएगा कि कोविड-19 का संक्रमण है या नहीं। यही स्टार्ट अप मॉडीफाइड पॉलीमराइज चेन रिएक्शन पर डिटेक्टिव डिवाइस बना रही है। इसके आईसीएमआर के मानक पर खरा उतरने की काफी उम्मीद है। इसके अगले दो महीने के भीतर अनुसंधान के बाद तैयार हो जाने का अनुमान है।
फास्ट सेंस डायग्नॉस्टिक की प्रीति निगम जोशी ने कहा कि इससे एक घंटे में 100 कोविड-19 से संक्रमित लोगों के सैंपल की जांच की जा सकेगी। प्रीति का कहना है कि इस डिवाइस के बनकर तैयार होने के बाद भारत बड़े पैमाने पर कोविड-19 की जांच कर सकेगा।
सुरक्षित डायग्नोसिस बूथ, पीपीई किट की भी जरूरत नहीं होगी
भारत सरकार के अधीन तिरुवनंतपुरम में कार्यरत शोध संस्थान एससीटीआईएमएसटी के वैज्ञानिकों ने डाइग्नोसिस के लिए एक 210 सेमी ऊंचा, 150 सेमी गहरा और 120 सेमी चौड़ा बूथ विकसित किया है जो कोविड-19 के संक्रमितों के इलाज के लिए है।
इसमें एक रैक, एक पंखा, एक लैंपबूथ और 244 नैनो मीटर विड्थ के साथ 15 वॉट की यूवी लाइट लगी है। बूथ के भीतर कोविड-19 के संक्रमित मरीज को बैठाकर उसकी जांच की जा सकती है। जांच के लिए डॉक्टर को दो ग्लव्स भी मिलेंगे। ग्लव्स पहनकर चिकित्सक मरीज को चेक कर सकता है।
स्टेथोस्कोप से जांच करने के लिए भी व्यवस्था है। जांच के बाद व्यक्ति के बाहर जाते ही बूथ की यूवी (अल्ट्रा वायलेट) लाइट तीन मिनट के लिए ऑन कर दी जाएगी और उसके भीतर के सभी कोविड-19 के विषाणु नष्ट हो जाएंगे। इसके बाद दूसरे संक्रमित व्यक्ति की जांच हो सकेगी। संस्था के वैज्ञानिकों का कहना है कि इससे डॉक्टर, नर्स और किसी स्टाफ में संक्रमण फैलने का खतरा नहीं रहेगा।