
PNN/Faridabad: 6 साल पहले भारत की राजधानी में आज ही के दिन यानी कि 16 दिसंबर 2012 की उस काली और दर्दनाक रात को कोई कैसे भूल सकता है जिस रात एक मासूम के साथ कुछ हैवानों ने ऐसी दरिंदगी को अंजाम दिया, जिसको सोच कर भी दिल दहल उठता है और रूह कांप जाती है, दिल सोचने को मजबूर हो जाता है की उसके साथ क्या बीती होगी जब दरिंदों ने इंसानियत की सारी हदों को पार कर दिया, जिसके बाद ना सिर्फ पूरा देश आक्रोश से उबल उठा था, बल्कि बड़ी संख्या में बच्चे, नौजवान और बूढ़े सभी सड़कों पर उतर आए थे। यह वही काला दिन है जिस दिन निर्भया दुष्कर्म एवं हत्याकांड को अंजाम दिया गया था।
महिलाएं पहली बार अपने हक के लिए सड़कों पर उतरी थीं और देश की संसद से लेकर विश्व मीडिया में भारत की महिलाओं की स्थिति पर बहस तेज हो गई थी। उस काली रात में दिल्ली की सड़कों पर DL 1PC 0149 नंबर की बस दौड़ती रही और हैवानियत की सारी हदें पार होती रही। किसी को पता न चला। वो बस जो निर्भया की जिंदगी का काल बन गई।
इस दिन को कोई कैसे भूल सकता है जब एक मासूम के साथ उन दरिंदों ने दिल्ली की सड़कों पर चलती बस में अपनी दरिंदगी की हदें पार की और वह खुद को बचाने के लिए उनसे लड़ती रही, पल-पल मरती रही, चीखती रही चिल्लाती रही धीरे-धीरे उसका मनोबल टूटता गया उसकी चीखें भी सिसकियों में बदल गई पर फिर भी उन दरिंदों को को उस पर तरस ना आया।
जब हो गई वह खून से लथपथ तो उसको मरने के लिए रोड पर ही फेंक कर चले गए वो इंसानी रूप में हैवान थे जो। 13 दिन इंसाफ के लिए अपनी सांसो से लड़ती रही जिसके बाद आखिरकार 29 दिसंबर को उसने दम तोड़ दिया।
उसने बस देश से यही मांगा था इस हैवानियत का शिकार में ही बनी इसके बाद देश की किसी बेटी के आंचल पर किसी का हाथ ना उठने पाए, परंतु फिर भी इस दर्दनाक और दिल दहला देने वाली घटना के 6 साल बाद भी आज भी देश की बेटियां घर, बाहर कहीं पर भी सुरक्षित नजर नहीं आती हैं।
वहीं निर्भया हत्याकांड के समय सरकार ने देश की बेटियों की सुरक्षा को लेकर बड़े-बड़े वायदे किए परंतु जैसे-जैसे निर्भया हत्याकांड को साल बीतते गए सरकार भी अपने वादे को भूलती चली गई आज भी ऐसा दिन नहीं जाता जिस दिन किसी मासूम की जिंदगी के साथ खेला नहीं जाता। क्यों आज भी देश की बेटी इन दरिंदों की दरिंदगी का शिकार होती है। 6 साल बाद भी हर दिन एक निर्भया को क्यों मरना पड़ता है।
वहीं आज भी निर्भया के माता-पिता अपनी बेटी को इंसाफ दिलाने के लिए तरसते है और सरकार से यही पूछते हैं कि आखिर कब मिलेगा उनकी बेटी को इंसाफ और कब होंगी देश की बेटियां सुरक्षित।
