ब्रेकिंग न्यूज़: किसान करेंगे अब “गुरिल्ला आंदोलन”, बनी है यह रणनीति
PNN/ Faridabad: देश में कहर बरपाने वाली कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर जैसे-जैसे कमजोर पड़ती जा रही है, वैसे ही ‘किसान आंदोलन’ सक्रिय हो गया है। इस बार किसानों ने कोरोना संक्रमण को ध्यान में रखते हुए एक खास रणनीति तैयार की है। अब “गुरिल्ला आंदोलन” (Gurilla Andolan) शुरू होगा। सरकार को ये समझ नहीं आएगा कि कब कहां क्या हो जाए। ये तय है कि इस नए आंदोलन में भाजपा के जनप्रतिनिधि, जिनमें मुख्यमंत्री, मंत्री, सांसद और विधायक शामिल हैं, इनकी राह मुश्किल हो सकती है। किसान संगठनों का ‘काला झंडा’ इनका पीछा नहीं छोड़ेगा। जिस तरह से हरियाणा और पंजाब में भाजपा के जनप्रतिनिधियों के सामने हल्लाबोल कर उनका सार्वजनिक कार्यक्रमों में भाग लेना मुश्किल कर दिया था, अब वही तरीका उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड में आजमाया जाएगा। इसके बाद देश के दूसरे हिस्सों में भी भाजपा नेताओं को इसी तरह का विरोध झेलना पड़ सकता है।
ऑल इंडिया किसान खेत मजदूर संगठन के अध्यक्ष सत्यवान बताते हैं कि केंद्र सरकार अब किसानों की मांगों को लेकर आपराधिक प्रवृति की राह पर चल पड़ी है। यानी वह चाहती है कि ये आंदोलन लंबा खिंचता रहे और किसी तरह खुद ही बदनाम हो जाए। सरकार पहले भी ऐसे प्रयास कर चुकी है।
सत्यवान कहते हैं, इस बार किसान आंदोलन नए रूप और नए तौर तरीकों के साथ लोगों के सामने आ रहा है। दिल्ली की सीमाओं पर आंदोलन चलता रहेगा, उसके अलावा ऐसी रणनीति बनाई गई कि ये आंदोलन देश के सभी जिलों में शुरू हो। सोशल मीडिया के माध्यमों के जरिए किसान अपनी बात राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर ले जाएंगे। 26 मई को किसान संगठन और सेंट्रल ट्रेड यूनियन मिलकर ‘काला दिवस’ मनाएंगी।
अखिल भारतीय रक्षा कर्मचारी महासंघ ‘एआईडीईएफ’ के महासचिव सी. श्रीकुमार कहते हैं, केंद्र सरकार ने किसानों का मजाक बनाकर रख दिया है। सरकार दोधारी तलवार की तरह काम कर रही है। एक तरफ किसानों को बर्बाद करने पर तुली है तो दूसरी ओर लाभ में चल रहे सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों को निजी हाथों में सौंप रही है। सरकार की इन नीतियों के खिलाफ हल्लाबोल किया जाएगा। देश के कर्मचारी संगठन, किसानों के साथ खड़े हैं। जब तक तीनों काले कृषि कानूनों को रद्द नहीं किया जाता, तब तक सरकार के खिलाफ आंदोलन करते रहेंगे।
ऑल इंडिया किसान खेत मजदूर संगठन के अध्यक्ष सत्यवान के अनुसार, इस बार हमारा प्रयास है कि किसान आंदोलन देश के हर हिस्से में मजबूती के साथ खड़ा हो। पिछली बार सरकार यह कहती रही कि ये तो ढाई प्रदेशों के किसानों का आंदोलन है। इस बार सरकार का यह वहम तोड़ा जाएगा। सरकार के खिलाफ जनमत तैयार करने की रणनीति बनाई गई है। इस मुहिम में युवा, कामगार और महिलाएं शामिल रहेंगी। दो बातें अहम रहेंगी। एक, भाजपा नेताओं का उनके सार्वजनिक कार्यक्रमों के दौरान काला झंडा दिखाकर घेराव किया जाएगा। दूसरा, देश के हर जिले में बीस, पचास या सौ युवाओं की ऐसी टोली तैयार की जाएंगी, जो भाजपा के मंत्रियों व पदाधिकारियों का पुतला फूंक सकें।
इसके साथ ही शहरों में किसान आंदोलन की दस्तक होगी। पंजाब और हरियाणा के शहरों में किसान आंदोलन का व्यापक असर देखने को मिला है। इसी तर्ज पर दूसरे राज्यों में आंदोलन का विस्तार होगा। सत्यवान बताते हैं, किसान संगठनों के नेताओं ने पश्चिम बंगाल में केंद्र सरकार की पोल खोली थी। वहां के लोगों ने किसानों की बात को ध्यान से सुना है। नतीजा आपके सामने है। अब लोगों को यह अहसास हो गया है कि भाजपा जनविरोधी नीतियों पर चल रही है।
जिस तरह हाल ही में कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर को उनके गृह जिले में काले झंडे दिखा दिए गए, वैसे ही सभी मंत्रियों को अपने अपने क्षेत्रों में काले झंडे देखने को मिलेंगे। समाज के बौद्धिक वर्गों को साथ लिया जा रहा है। रोजाना फेसबुक पर प्रात: 11 बजे से एक बजे तक परिचर्चा हो रही है। नॉर्थ जोन और साउथ जोन में इस तरह के कार्यक्रम आयोजित किए जा रहे हैं। उनमें विभिन्न क्षेत्रों के विशेषज्ञों को आमंत्रित किया जाता है। अलग अलग राज्यों के किसानों द्वारा अपनी बात रखी जाती है। किसान संगठन, कोविड 19 के नियमों को ध्यान में रखकर आंदोलन को आगे बढ़ाते रहेंगे।
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