PNN India: सावधान, कोरोना अब टेस्ट (जांच) को भी चकमा दे रहा है. इसका खुलासा अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) के डॉक्टरों को उस वक्त पता चला जब एक 84 वर्ष की बुजुर्ग महिला की कोरोना टेस्ट की रिपोर्ट चार बार नेगेटिव आने के बावजूद भी वह कोरोना पॉजिटिव थी जिसका खुलासा एंटीबॉडीज जांच के जरिए डॉक्टरों ने पता लगाया.
कोरोना संक्रमित होने के बावजूद रिपोर्ट आ रही थी नेगेटिव
एम्स के डॉ. विजय गुर्जर ने अपना ये अनुभव ट्विटर पर शेयर किया है. उनके मुताबिक 80 साल की एक बुजुर्ग महिला को बुखार और सांस लेने में तकलीफ की शिकायत थी. ऐसे में उन्हें AIIMS में भर्ती कराया गया. 25 जून से 7 जुलाई के बीच 4 बार उनका एम्स में आरटी-पीसीआर कोरोना टेस्ट किया गया. लेकिन हर बार रिपोर्ट निगेटिव पाई गई. जबकि एक्सरे और सीटी स्कैन की रिपोर्ट को देखकर डॉक्टर संक्रमण मानकर चल रहे थे और इसी तरह से उनका इलाज भी किया गया.
एंटीबॉडीज जांच से पता चला कोरोना
बाद में डॉक्टरों ने उनकी एंटीबॉडी जांच कराई. इसमें पता चला कि उनके शरीर में एंटीबॉडी विकसित हो चुकी थी. इसी वजह से कोरोना की रिपोर्ट हर बार नेगेटिव आई. एंटीबॉडी किसी इंसान के शरीर में तभी बन सकती है, जब वो कोरोना वायरस से संक्रमित हो. इतना ही नहीं एंटीबॉडी बनने में करीब 5-7 दिन का समय लगता है. ये एंटीबॉडी मरीज के शरीर में संक्रमण के खिलाफ लड़ने का काम करती है.
महिला की बची जान
इस बुजुर्ग महिला को अब हॉस्पिटल से छुट्टी दे दी गई है. इन्हें AIIMS में लगातार 10 दिनों तक डेक्सामेथासोन की दवा दी गई. हाल ही में भारत सरकार ने कोरोना के इलाज में इस दवा के इस्तेमाल की इजाजत दी है. ये एक बेहद सस्ती दवा है.
पहले भी आ चुका है ऐसा मामला
डॉक्टर विजय गुर्जर ने कहा कि हाल ही में रोहतक के अस्पताल में मौलाना आजाद मेडिकल कॉलेज के एक जूनियर रेजिडेंट डॉक्टर अशोक भयाना की मौत हो गई थी. उनमें सभी लक्षण कोरोना के थे, लेकिन रिपोर्ट नेगेटिव आई थी.
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