PNN/ Delhi: जमीयत सद्भावना मंच, (Jamiat Sadbhavna Manch) जमीयत उलमा-ए-हिंद के तत्वधान में आज नई दिल्ली स्थित, जमीयत उलमा-ए-हिंद मुख्यालय के जमीयत सद्भावना मंच के दफ्तर में आज एक बैठक जमीयत सद्भावना मंच के संयोजक मौलाना जावेद सिद्दीकी कासमी के नेतृत्व में आयोजित किया गया, जिसमें मुस्लिम धर्म के अलावा अन्य धर्म के लोग भी इस बैठक में शरीक होकर देश के वर्तमान हालात पर विचार-विमर्श किया और इसमें हर वर्ग और धर्म के नागरिकों को शामिल करने पर जोर दिया गया.
बैठक में शामिल लोगों से मौलाना जावेद सिद्दीकी ने जमीयत सद्भावना मंच की विजन और मिशन के बारे में साझा करते हुए बताया कि उक्त मंच देश में मुख्यतः सात बिंदुओं पर मजबूती से काम कर रही है. जमीयत सद्भावना मंच से जुड़ने वाले लोगों को यह सुनिश्चित करना होगा कि हम क्रमशः इन बिंदुओं पर काम करेंगे.
1. आपसी सद्भावना वह सम्मान और मानवता के माहौल को पूरे देश में मजबूत करना.
2. राष्ट्र देश की सेवा के लिए हमेशा आगे रहना.
3. धार्मिक व सामाजिक भेदभाव और नफरत को खत्म करना.
4. धर्म वह धार्मिक गुरु के खिलाफ ओछे शब्द का प्रयोग ना करना.
5. किसी भी क्षेत्र में कोई भी समस्या आने पर आपस में बैठकर समस्या का समाधान निकालना.
6. परेशान हाल और गरीबों की मदद के लिए आगे आना चाहे पीड़ित किसी भी धर्म का व्यक्ति हो.
7. सभी इलाकों में सद्भावना कमेटी का निर्माण व साझा मीटिंग का आयोजन करना.
इस दौरान, मौलाना जावेद सिद्दीकी कासमी ने कहा कि देश के अमन पसंद लोगों को साथ लेकर आपसी भाईचारे को बनाए रखने के लिए काम किया जाए. यह देश हमारा है, यहां किसी प्रकार की नफरत आदि के लिए कोई स्थान नहीं है. उन्होंने बताया कि जमीयत उलेमा-ए-हिंद की स्थापना का उद्देश्य देश के विभिन्न धर्मों के बीच अमन व शांति की स्थापना का ही रहा है. आजादी के 70 से भी ज्यादा साल गुजर जाने के बाद भी जमीयत अपने महापुरुषों और विद्वानों के मार्ग पर चलते हुए काम कर रही है.
मौलाना जावेद ने आगे यह भी कहा कि जमीयत सद्भावना मंच की इस पहल की तारीफ हर समाज के लोग कर रहे हैं. हम जल्द ही लोगों के बीच में जाकर हिंदू-मुस्लिम सिख-ईसाई की भाईचारे को आगे बढ़ाने के लिए जगह-जगह कार्यक्रम करेंगे और लोगों से ज्यादा से ज्यादा इस मंच से जुड़ने की अपील करेंगे.
बैठक में मौलाना जावेद सिद्दीकी कासमी के अलावा हाफिज राशिद, सफी सिद्दीकी, सुशील खन्ना जी महाराज, रिजवान मंसूरी, कारी हसीनुरहमान, मौलाना हुसैन अहमद कासमी, मौलाना वलीउल्लाह कासमी आदि लोग मौजूद रहे.