PNN/ Faridabad: पल्ला स्थित, भारतीय विद्या कुंज सीनियर सेकेंडरी स्कूल (BVKS) में आजादी के 75वर्ष पूर्ण होने पर अमृत महोत्सव का आयोजन किया गया. इस दौरान विद्यालय में सन 1857 से 2022 तक के भारत की तस्वीर का चित्रांकन किया गया. बच्चों ने मॉडल्स, झांकियों और वचाट इत्यादि के माध्यम से अपनी कला को अपने अध्यापकों के मार्गदर्शन के साथ प्रदर्शित किया.
1857 के स्वतंत्रता संग्राम, भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की स्थापना, चंपारण सत्याग्रह, दांडी मार्च, सविनय अवज्ञा आंदोलन, स्वदेशी आंदोलन, भारत छोड़ो आंदोलन, आजाद हिंद फौज की स्थापना, 47 में आजादी की प्राप्ति व संविधान के निर्माण को चित्रित किया गया, तथा बाद में भारत का विज्ञान तकनीकी साहित्य कृषि सिंचाई पंचवर्षीय योजनाएं इत्यादि के क्षेत्र में विकास प्रदर्शित किया गया.
कार्यक्रम के मुख्यातिथि के रूप में बच्चों का उत्साहवर्धन करने के लिए पल्ला थाने के एडिशनल एसएचओ आसमान सिंह पहुंचे हुए थे जबकि बीजेपी के कार्यकर्ता व समाज सेविका रेखा दिक्षित भी कार्यक्रम में बच्चों का उत्साहवर्धन के करने के लिए आई. सभी अतिथियों ने बच्चों के अथक प्रयास की सराहना की.
इस अवसर पर, स्कूल की प्रधानाचार्य डॉ कुसुम शर्मा ने सभी बच्चों और अध्यापकों को उनके प्रशंसनीय कार्य की सराहना करते हुए स्वतंत्रता दिवस के इस अमृत महोत्सव की बधाई दी. डॉ कुसुम शर्मा ने pnn के माध्यम से बताया कि आजादी के इस अमृत महोत्सव को मनाए जाने के कुछ कारण है. पहला यह कि भारत को अंग्रेजों की गुलामी से आजादी मिली थी. दूसरा यह कि देश को स्वतंत्र करने के लिए जिन राष्ट्र सुपूतों ने बलिदान दिया और बहुत कष्ट सहे उन्हें याद करने का यह दिन है. तीसरा यह कि आजादी के 75 वर्ष पूरे हो गए हैं. इन कारणों से आजादी के अमृत महोत्सव के माध्यम उन सभी लोगों को स्वतंत्रता और लोकतंत्र के के सही मायने बताने बहुत जरूरी है और साथ ही यह बताना भी जरूरी है कि इन 75 वर्षों में भारत ने क्या उपलब्धियां हासिल की हैं.
उन्होंने बताया कि वर्तमान समय में जो युवा पीढ़ी है जिनकी उम्र 18 से 35 वर्ष के बीच में है वह आजादी के संघर्ष और लोकतंत्र के महत्व को बेहतर ढंग से नहीं जानती हैं. कई विचारधारों में बंटी यह पीढ़ी गुमराही के एक चौराहे पर खड़ी है. ऐसे में उसे अपने देश के इतिहास और वर्तमान से जोड़ना जरूरी है. कहते हैं कि जो देश अपना इतिहास भुल जाता है उसका भूगोल भी बदल जाता है और यह हुआ भी है. कई कुर्बानियां व्यर्थ चली गई तब जबकि देश का विभाजन हुआ.
प्रिंसिपल ने यह भी बताया कि भारत को आजाद कराने के लिए किन-किन चुनौतियों का सामना करना पड़ा और क्या-क्या कुर्बानियां भारत को देनी पड़ी यह आज की युवा पीढ़ी को जानना जरूरी है. साथ ही यह भी कि आने वाले समय में किन चुनौतियों का सामान करना पड़ेगा. हालांकि किताबों और स्कूल में पढ़ाए गए पाठ से उन्हें आजादी के बारे में बहुत हद तक कुछ जानकारी मिल जाती है लेकिन वह करीब से इसकी संघर्ष की कहानी को नहीं जानते हैं. इतिहास की बहुत सी बातें पाठ्यक्रम में नहीं, जिन्हें जानना या बताना जरूरी है. कार्यक्रम बहुत ही उत्साह पूर्ण व सफल रहा.
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